Akarkara-अकरकरा-Pellitory Root Health Benefits, Treatment for Sex Power And Its Harmful Effects In Hindi
अकरकरा का परिचय
Introduction of Akarkara-Pellitory Root
अकरकरा का पौधा अल्जीरिया में सबसे अधिक मात्रा में पैदा होता है। India भारत में यह कश्मीर, आसाम, बंगाल के पहाड़ी क्षेत्रों में, गुजरात और महाराष्ट्र आदि की उपजाऊ भूमि में कहीं-कहीं उगता है। वर्षा के शुरू में ही इसका झाड़ीदार पौधा उगना प्रारंभ हो जाता है। अकरकरा का तना रोएंदार और ग्रंथियुक्त होता है। अकरकरा की छाल कड़वी और मटमैले रंग की होती है। इसके फूल पीले रंग के गंधयुक्त और मुंडक आकार में लगते हैं। जड़ 8 से 10 सेमी लंबी और लगभग 1.5 सेमी चौड़ी तथा मजबूत और मटमैली होती है। अकरकरा के Fayde फायदे और Nuksan नुकसान दोनों है। तो चलिए जानते है इसके फायदों और नुकसान के साथ-साथ और भी बातें:-
अकरकरा का रंग
Color of Akarkara-Pellitory Root
अगर बात की जाए इस पौधे के रंग की तो इस पौधे का रंग ऊपर से यानी बाहर काला और अंदर से सफेद होता है।
अकरकरा का स्वाद
Taste of Akarkara-Pellitory Root
अकरकरा का स्वाद चखने में तेज, चरपरा, ठंडा और चुनचुनाहट पैदा करने वाला होता है।
अकरकरा की प्रकृति
Nature of Akarkara-Pellitory Root
अकरकरा की प्रकृति गर्म और खुश्क होती है।
अकरकरा के गुण
Benefits of Akarkara-Pellitory Root
अकरकरा गुणों से भरपूर पौधा है। अकरकरा कड़वी, रूक्ष, तीखी, प्रकृति में गर्म तथा कफ और वातनाशक है। अगर किसी पुरुष या स्त्री में कामोत्तेजना का अभाव है तो अकरकरा का सेवन लाभप्रद हो सकता है क्योकि यह कामोत्तेजक (सेक्स उत्तेजना को बढ़ाने वाला) है और साथ ही साथ यह धातुवर्धक (वीर्य को बढ़ाने वाला) भी है। इसके अलावा यह रक्तषोधक (खून को साफ करने वाला), शोथहर (सूजन को कम करने वाला), मुंह दुर्गंधनाशक (मुंह की बदबू को नष्ट करने वाला), दंत रोग, हृदय की दुर्बलता (दिल की कमजोरी), बच्चों के दांत निकलने के समय के रोग तुतलाहट, हकलाहट, रक्तसंचार (शरीर में खून के बहाव) को बढ़ाने में बहुत ही गुणकारी है।
नपुंसकता में अकरकरा से इलाज
Treatment In Impotence
नपुंसकता! आज के दौर में ये शब्द बहुत सुनने को मिलता है की ये युवा नपुंसक है या नामर्द है क्योकि गलत आदतों में पड़कर आज का युवा सीधे वृद्ध की गिनती में आने लगा है। इस समस्या से मीपटने के लिए रोगी अकरकरा के बारीक चूर्ण को शहद में मिलाकर शिश्न (पुरुष लिंग) पर लेप करके रोजाना पान के पत्ते लपेटने से इंद्री का ढीलापन दूर हो जाता है और वीर्य की मात्रा में भी बढ़ोत्तरी होती है। अकरकरा दो ग्राम, जंगली प्याज 10 ग्राम इन दोनों को पीसकर लिंग पर मलने से इंद्री कठोर हो जाती है। 14 या 21 दिन तक यह प्रयोग करना चाहिए।
अकरकरा के हानिकारक प्रभाव
Harmful Effects of Akarkara-Pellitory Root
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