चिकित्सा के चार बिंदु
- चिकित्सक (Physician)
- औषध (Medicine)
- रोगी (Patient)
- सहायक (Assistant)
तो चलिए जानते है इन बिन्दुओ के बारे में और इनके काम के बारे में:-
चिकित्सक
Physician
चिकित्सक जिसे आप Doctor डॉक्टर या Hakeem हकीम के नाम से जानते हैं। ये ही वो प्राणी है जो God इश्वर समान प्राणो की रक्षा करता है। एक चिकित्सक का Knowledgeable ज्ञानवान, Patient धैर्यवान, लोभ-लालच से दूर, Medicines औषधियों के योग में पारंगत होना अति आवश्यक है और यही एक अच्छे चिकित्सक की परिभाषा और पहचान होती है। अगर ये भाव एक चिकित्सक में न हो तो वह चिकित्सक नहीं।
औषधि
Medicine
औषधि! जिससे चिकत्सक रोगी के रोग को नष्ट करता है। आयुर्वेद में कहा गया है की जो चीज हमें प्राप्त है वो सब कुछ औषधि है। आयुर्वेद के शस्त्रों में एक-एक वस्तु का उपयोग और उससे दूर होने वाले रोगो का वर्णन किया गया है। एक औषधि तभी रोगनाशक सिद्ध साबित हो सकती है जब उसे ताजा एवं शाश्त्रोक्त विधि से बनाया गया हो।
रोगी
Patient
रोगी! जो व्यक्ति रोग से प्रभावित होता है यानी जिसे कोई रोग या बिमारी हो जाती है उसे मरीज या रोगी कहा जाता है। रोगी आज्ञाकारी, धैर्यवान, साधनों से युक्त और सबसे जरूरी चिकित्सक में विश्वास रखने वाला होना चाहिए। क्योकि जिस रोगी को चिकित्सक में विश्वास नहीं होगा उसका रोग से मुक्त होना बहुत ही कठिन हो जाता है।
सहायक
Assistant
सहायक! यानी Treatment चिकित्सा में चिकित्सक की मदद करने वाला और रोगी के प्रति प्रेम भाव, सेवा का भाव रखने वाला होता है।
आयुर्वेद शास्त्र में शरीर को सर्वोत्कृष्ट यंत्र के समान माना है। शास्त्र में लिखा भी है कि:-
शरीरामाद्यं खलु धर्म साधनं
अर्थात् किसी भी प्रकार की क्रिया या नियमो का पालन करने के लिए शरीर से बढ़कर कोई साधन नहीं। इसलिए शरीर पूर्णत: स्वस्थ रहना आवश्यक है और शरीर को पूर्णत: स्वस्थ रखने के लिए स्वस्थवृत (Hygine) के नियमो का पालन आवश्यक है।
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