Agnimukh Churna-अग्निमुख चूर्ण
गुण और उपयोग:- यह चूर्ण दीपन-पाचन है। यह खट्टी डकारें आना, अरुचि, उदरशूल, मंदाग्नि, जी मिचलाना या मुंह में पानी भर जाना, मुंह न लगना आदी विकारों को नष्ट करता है। भोजन को अच्छी तरह पचाकर क्षुधा की वृद्धि करता है और उत्तम रुचिवर्धक है। विशेषत: उदर वायु बचाकर क्षुधा की वृद्धि करता है।
मात्रा और अनुपान:- 2 ग्राम से 4 ग्राम तक भोजन के बाद सुबह शाम जल के साथ।
चेतावनी :-(पाठको से अनुरोध है की किसी भी दवा का इस्तेमाल करने से पहले किसी वैध से परामर्श जरूर करें)
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