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Catarrh-Cold-नजला-जुकाम Treatment by Gharelu Nuskhe in Hindi

Catarrh_cold treatment in hindi by ayurvedaduniya


नजला या जुकाम, जैसा की आप जानते है की एक आम बीमारी है लेकिन इसकी वजह से सर में दर्द होना आम बात नहीं और अगर इसका इलाज न किया जाए तो यह निमोनिया का रूप भी धारण कर सकता है। इससे पहले ये रोग आपके शरीर में अपना बसेरा बना ले तो इसका इलाज कर इसे रोक लेना अच्छा रहेगा। यह बीमारी बर्फीले स्थानो पर, धूल-धुएं से भरे पड़े स्थानो पर तथा दूषित वातावरण में तो यह रोग बिना किसी शिकायत के भी हो जाता है। इस बीमारी को गले के रोग जैसे वायु प्रकोप, नाक की बीमारियां तथा क्षय आदि बढ़ने में इसकी मदद करते है।जिससे यह रोग और तेजी से फैलता है। किसी को भी यह रोग हो जाता है परन्तु उसको इस रोग के बारे में पता भी नहीं चल पाता है। तो चलिए जानते है इस रोग की पहचान, कारण और निवारण।


नजला (जुकाम) की पहचान
Identification of Catarrh (Cold)

जब आपको नजला या जुकाम होता है तो इसके शुरू में नाक में खुश्की सी महसूस होती है और फिर बाद में छींकें आने लगती है। आंख और नाक से पानी बहना शुरू हो जाता है। जब श्लेष्मा (पानी) गले से नीचे उतरकर पेट में चला जाता है तो आपको खांसी होने लगती है। कान धीरे काम करते है। माथा भारी और आंखें लाल हो जाती हैं और फिर बार-बार नाक बंद होने लगती है और इस कारण सांस लेने में भी परेशानी होती है जिससे रोगी को मुँह से साँस लेनी पड़ती है। सर दर्द के कारण रात में भी नींद नहीं आती।


नजला (जुकाम) क्यों होता है कारण
Reason of Catarrh (Cold)

  • बर्फ का ठंडा पानी पीने तथा ठंडे पानी से स्नान करने से भी यह रोग पैदा हो जाता है।
  • रात में जागने और दिन में सोने के बाद तुरन्त मुंह धोने से ये रोग हो जाता है।
  • ख़राब भोजन खाना या सूंघना से ये बीमारी हो सकती है।
  • गर्मी हो या सर्दी किसी भी ऋतु में अधिक मेहनत करना, चिन्ता करना और पानी में भीगना इस रोग को उत्पन्न करता है।
  • शराब का अधिक सेवन, शरीर में कमजोरी का होना, खांसी, छींक, भूख, प्यास, शौच, मूत्र, नींद और  जंभाई आदि को रोकने से भी यह रोग उत्पन्न हो जाता है।
  • अत्यधिक क्रोध करने से, अधिक रोने से, अधिक मैथुन किर्या करने से इस रोग को बढ़ावा मिलता है।
  • ओस में या ठंडी हवा में सोने से भी ये हो होता है।

नजला (जुकाम) के इलाज के लिए घरेलु निस्खे
Treatment for Catarrh (Cold) by Home Remedies

  •  अदरक इस रोग के लिए तथा गले के रोग के लिए रामबाण है। अदरक के छोटे-छोटे टुकड़ों को देशी घी में भून लें। फिर उसे दिन में चार-पांच बार कुचलकर खा जाएं। अदरक को कूटकर शहद मिलाकर सेवन करे। इससे जुकाम बह जाएगा और रोगी को शान्ति मिलेगी।
  • 10 ग्राम हल्दी का चूर्ण और 10 ग्राम अजवायन को एक कप पानी में आंच पर पकाएं। जब पानी जलकर आधा रह जाए तो उसमें जरा-सा गुड़ मिला लें। इसे छानकर दिन में तीन बार पिएं। ऐसा करने से दो दिन में जुकाम से रहत मिल जाएगी।
  • लहसुन से करे इस रोग को दूर। लहसुन की दो डलियो को आग में भूनकर पीस लें। फिर इसको शहद के साथ चाटलें।
  • कलौंजी का चूर्ण बनाकर पोटली में बांध लें। फिर इसे बार-बार सूंघें। नाक से पानी आना रुक जाएगा।
  • जायफल भी एक अच्छा उपाय है। जायफल को पानी में घिसकर चंदन की तरह माथे और नाक पर लगाएं।
  • तुलसी की पांच पत्तियां, दो लौंग, एक छोटी गांठ अदरक या सोंठ तथा चार कालीमिर्च। सबको मोटा पीसकर एक कप पानी में आग पर चढ़ा दें। जब पानी जलकर आधा रह जाए तो छानकर उसमें जरा-सा गुड़ या चीनी डालकर गरम-गरम पी जाएं।
  • एक चम्मच पिसी हुई सोंठ की फंकी लगाकर ऊपर से गुनगुना पानी पी जाये।
  • मुनक्के से न केवल नजला (जुकाम) से छुटकारा मिलेगा बल्कि पेट भी साफ रहेगा। पांच मुनक्के एक कप पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो मुनक्के निकालकर चबा जाए और पानी को पि जाये।
  • अनार के पत्तों को पीस लें। फिर उसमें थोड़ा-सा गुड़ मिलाकर 5 ग्राम की मात्रा में खाएं।
  • चिरायता, सोंठ, अड़ूसे की जड़ तथा कटेरी की जड़। सब 5-5 ग्राम लेकर काढ़ा बनाकर पिएं।
  • एक कप गाय के दूध में एक चम्मच पिसी हुई हल्दी तथा थोड़ी-सी चीनी या शहद मिलाकर पि जाएं।
  • नाक के बाहर तथा नथुनों के भीतर सरसों-का तेल थोड़ी-थोड़ी देर बाद लगाएं। जुकाम का पानी बह जाएगा।
  • नीबू के छिलके को पीसकर चटनी बना लें। उसमें जरा-सा सेंधा नमक मिलाकर सेवन करें।
  • चार चम्मच सौंफ, चार लौंग और पांच कालीमिर्च को एक कप पानी में उबालें। जब यह चौथाई कप रह जाए तो बूरा मिलाकर इसको गटक जाए।


नजला (जुकाम) होने पर रखे खान-पान का ख्याल
Diet For Catarrh (Cold) Patient

नजले के रोगी को बहुत ठंडी और बहुत गरम तासीर वाली चीजे नहीं खानी चाहिए। चाय, दूध, अमरूद का सेवन काम करे। पपीता, पालक, मेथी आदि की सब्जी, गेहूं तथा जौ की चपाती खाएं। रात को बंद कमरे में लेटकर अदरक, तुलसी और कालीमिर्च का काढ़ा पीकर सो जाएं। हल्का निवाया पानी पीना बेहतर है। मट्ठा, छाछ, दही, बर्फ, ठंडा पानी, आलू, करेला, बैंगन, फूलगोभी, मूली, टमाटर, सेब, नाशपाती, केला आदि का सेवन न करें। मुंग की दाल की खिचड़ी पेट और नजले के लिए अच्छी राहती है।

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